लाइटिंग दुनिया को देखने के हमारे नज़रिये को नई दिशा देती है। वास्तविक और काल्पनिक, दोनों तरह की दुनिया में हम मूड सेट करने और सीधे ध्यान आकर्षित करने के लिए लाइटिंग का इस्तेमाल करते हैं। फ़ोटोग्राफ़र, सिनेमैटोग्राफ़र, फ़िल्ममेकर और 3D आर्टिस्ट को रिएलिटी को दोबारा दिखाने या किसी सीन को किसी खास शैली में दिखाने के लिए लाइटिंग इफ़ेक्ट में एक्सपर्ट होना चाहिए।
3D लाइटिंग: लाइटिंग के प्रकार और 3D लाइटिंग टेक्नीक
3D लाइट सोर्स के पाँच प्रकार।
चाहे आप बेसिक लाइटिंग से शुरुआत कर रहे हों या आप ज़्यादा कलात्मक योजना पर काम कर रहे हों, लाइटिंग सेट अप बनाते समय आपके लिए यह जानना बहुत ज़रूरी है कि आप कौन-से लाइट सोर्स इस्तेमाल कर सकते हैं।
- डायरेक्शनल लाइट: लाइट का यह सोर्स समानांतर किरणें फेंकता है जो किसी ऑब्जेक्ट को ऐसे दिखाती हैं जैसे कि लाइट सोर्स बहुत दूर है — सूरज की तरह। यह किसी सीन में हर एक एलिमेंट को बराबर तीव्रता से प्रभावित करता है।
- एरिया लाइट: इस लाइट सोर्स को किसी खास सतह से निकलने वाली डायरेक्शनल किरणों से बने आयत के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यह ऐसी लाइट की तरह है जो किसी खिड़की से होकर गुज़रती है या किसी स्टूडियो सॉफ़्टबॉक्स की प्रतिकृति बनाती है और किसी खास शेप की हाइलाइट बनाती है।
- पॉइंट लाइट: पॉइंट लाइट ऐसा सोर्स है जो हर एक दिशा में लाइट भेजता है। पॉइंट लाइट का इस्तेमाल किसी लैंप या चमकीले बल्ब की रोशनी की तरह किया जा सकता है।
- स्पॉट लाइट: जहाँ पॉइंट लाइट किसी टेबल लैंप की लाइट की तरह होती है, स्पॉट लाइट किसी फ़्लैशलाइट की तरह होती है। किसी एक जगह से निकलने वाली लाइट एक खास ऐंगल पर सीमित हो जाती है। लाइट सोर्स से कोई ऑब्जेक्ट जितना दूर होता जाता है, लाइट की तीव्रता उतनी घटती जाती है। साथ ही, यह लाइट के कोन के किनारों पर भी कम होती जाती है।
- स्काई डोम लाइटिंग: लाइटिंग के इस विकल्प में लाइट ऊपर से सीन पर आती है। चमकते हुए आसमान से आने वाली ऐंबियंट लाइटिंग का इफ़ेक्ट रीक्रिएट करने के लिए इस सोर्स का इस्तेमाल ज़्यादातर आउटडोर सीन के लिए किया जाता है।
एक, दो, और तीन लाइट-सोर्सेज़ वाले एग्ज़ाम्पल्स।
अलग-अलग तरह की लाइट के अलावा आप जितने सोर्स का इस्तेमाल करते हैं, वे सब मिलकर 3D एनवायरमेंट की प्रकृति तय करते हैं।
वन पॉइंट लाइटिंग।
टू पॉइंट लाइटिंग।
यह लाइटिंग एक प्राइमरी सोर्स या मुख्य लाइट के साथ एक दूसरा सोर्स भी इस्तेमाल करती है। मुख्य लाइट ज़्यादा रोशनी वाली होती है। दूसरी लाइट का इस्तेमाल कॉन्ट्रास्ट को बेहतर बनाने या सब्जेक्ट को बैकग्राउंड से अलग दिखाने के लिए किया जा सकता है।
तीन-पॉइंट लाइटिंग।
3D रेंडरिंग्स में यह सबसे आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली लाइटिंग है। यह हॉलीवुड की फ़िल्मों के लिए इस्तेमाल होने वाली लाइटिंग स्टाइल पर आधारित है। इसमें तीन अलग-अलग तरह के लाइट सोर्स शामिल होते हैं। आपके सब्जेक्ट के लिए मुख्य लाइट ही प्रमुख सोर्स होगी। फ़िल लाइट, मुख्य लाइट से शैडो को कम करके कॉन्ट्रास्ट को कंट्रोल करने में मदद करती है। बैकलाइट या रिम लाइट सब्जेक्ट के पीछे से आनी वाली तेज़ रोशनी होती है ताकि सब्जेक्ट को बैकग्राउंड से अलग किया जा सके।
रियलिस्टिक 3D लाइटिंग क्रिएट करने के लिए चार सुझाव।
वास्तविक दुनिया को ध्यान से देखें।
3D लाइटिंग भी कला के अन्य रूपों की तरह एक कला है। इसका एक्सपर्ट बनने की शुरुआत ध्यानपूर्वक देखने से की जा सकती है। ध्यान से देखें कि एक पूरे दिन के दौरान रोशनी किस तरह बदलती जाती है, प्राकृतिक और कृत्रिम स्रोत मिलकर आपकी दुनिया को कैसे रोशन करते हैं और किसी कमरे में लाइट सोर्स की जगह बदलने से उसके फ़ील में क्या बदलाव आता है।
आसान बनाए रखें।
3D सीन में बाहर, दिन के समय एक या दो लाइट सोर्स अक्सर पर्याप्त होते हैं। वास्तविक ज़िंदगी में, सूरज से ही आम तौर पर ज़्यादा रोशनी मिलती है इसलिए आउटडोर सीन में लाइट और शैडो इफ़ेक्ट देने के लिए स्काई डोम का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें अक्सर पॉइंट, स्पॉट या अन्य लाइट सोर्स की ज़रूरत नहीं होती।
फ़िल्में देखें।
लाइटिंग डिज़ाइन में सिनेमैटोग्राफ़र माहिर होते हैं। शुरुआती स्तर के लोग सिनेमैटिक टेक्नीक के लिए मशहूर फ़िल्में देखकर बहुत कुछ सीख सकते हैं।
इंप्लाइड लाइटिंग के साथ प्रयोग करें।
किसी सीन में अपनी इमेज के फ़्रेम से बाहर किसी अनिश्चित सोर्स से लाइटिंग का इस्तेमाल करके ऐसी इमेज बनाई जा सकती है जो रहस्यमयी होने के साथ-साथ असलियत के भी नज़दीक हो। आपकी कंपोज़िशन के किनारों पर भी आपका सीन खत्म होता नहीं दिखाई देगा।
रंग पर भी विचार करें।
आपका मुख्य फ़ोकस लाइट सोर्स के डायरेक्शन और उसकी प्रकृति पर होता है, लेकिन लाइट की क्वालिटी पर भी ध्यान दें। लाइट के अलग-अलग प्रकार — उदाहरण के लिए, सफ़ेद, नीले रंग जैसी और पीली लाइट — अलग-अलग मूड दिखाते हैं।