3D में बॉक्स मॉडलिंग टेक्नीक क्या होती है?

एंटरटेनमेंट, आर्किटेक्चर, मैन्युफ़ैक्चरिंग, और यहाँ तक कि मेडिसिन के लिए भी 3D मॉडलिंग ज़रूरी है। कोई भी यूज़ केस हो, 3D मॉडल्स बनाने के दो तरीके होते हैं: बॉक्स मॉडलिंग और स्कल्पटिंग। इस गाइड में, हम बताएँगे कि बॉक्स मॉडलिंग क्या है, यह इतना फ़ायदेमंद क्यों है और यह स्कल्पटिंग से कैसे अलग है।

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बॉक्स मॉडलिंग क्या होती है?

बॉक्स मॉडलिंग एक 3D मॉडलिंग टेक्नीक है। इसमें किसी आसान से शेप, आम तौर पर एक क्यूब या "बॉक्स" के साथ शुरुआत की जाती है और मनचाही डिज़ाइन मिल जाने तक उसमें बदलाव किए जाते हैं। बारीकियाँ डालने के लिए बुनियादी शेप की सर्फ़ेसेज़ को हिस्सों में बाँटकर इसके कोनों, किनारों, और सतहों में हेरफेर किया जाता है।

3D डिज़ाइन के लिए बॉक्स मॉडलिंग सबसे ज़रूरी है और इसे आम तौर पर पॉलीगनल मॉडलिंग के नाम से जाना जाता है। यह टेक्नीक दशकों से वजूद में रही है, मगर इस्तेमाल में आसान होने की वजह से लोग उसे अभी भी पसंद करते हैं। यह किसी लकड़ी के टुकड़े को गढ़कर कुछ नया बनाने जैसा ही है।

बॉक्स मॉडलिंग को लोग इसलिए भी पसंद करते हैं, क्योंकि इसे कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। चाहे कोई वीडियो गेम कैरेक्टर हो, आर्किटेक्चर विज़ुअलाइज़ेशन के लिए कोई फ़र्नीचर हो, या मैकेनिकल डिज़ाइन के हिस्से, बॉक्स मॉडलिंग करीब-करीब हर चीज़ बनाई जा सकती है।

बुनियादी लेवल पर, बॉक्स मॉडलिंग की शुरुआत क्यूब जैसे किसी आसान से शेप के साथ की जाती है। उसके बाद, शेप को इधर-उधर ले जाकर, ज़रूरत के हिसाब से इसका साइज़ घटाकर या बढ़ाकर, या इसके कोनों, किनारों, व सतहों को घुमाकर इसमें सुधार किए जाते हैं। मॉडल की सतह को हिस्सों में बाँटकर व शेप में सुधार करके मॉडेल में और भी ज़्यादा बारीकियाँ डाली जा सकती हैं।

बॉक्स मॉडलिंग के फ़ायदे।

आइए, बॉक्स मॉडलिंग के कुछ फ़ायदों पर एक निगाह डालें:

  1. शुरुआत करने वाले लोगों के लिए आसान। 3D डिज़ाइन की दुनिया में शुरुआत कर रहे लोगों के लिए बॉक्स मॉडलिंग आसान होती है। एक-एक स्टेप के हिसाब से सिलसिलेवार ढंग से होने वाला काम बदलावों और एडजस्टमेंट्स को ट्रैक करना आसान बना देता है। इससे सीखने का काम काफ़ी आसान हो जाता है।
  2. लो-पॉली मॉडल्स के लिए बेहतरीन। बॉक्स मॉडलिंग पॉलीगन की छोटी तादाद से शुरू होती है, नतीजतन यह लो-पॉली मॉडल्स के लिए सही होती है। यही वजह है कि वीडियो गेम्स में रियल-टाइम ऐप्लिकेशन्स के लिए भी यह बेहतरीन है।
  3. असरदार और सटीक। बॉक्स मॉडलिंग से आपको और ज़्यादा सटीकता मिलती है और कंट्रोल मिलता है। मॉडल बिना कोई गैर-ज़रूरी पॉलीगन डाले असरदार ढंग से रेंडर करे, यह पक्का करते हुए आपको तय करना होता है कि बारीकियाँ कहाँ पर डाली जाएँ।

बॉक्स मॉडलिंग बनाम स्कलप्टिंग

3D मॉडल बनाते समय, बॉक्स मॉडलिंग और स्कल्पटिंग में से कोई एक ऑप्शन चुनना होता है। ये दोनों तरीके एक-दूसरे से कई मायनों में अलग हैं:

  • शुरुआती प्वाइंट। बॉक्स मॉडलिंग की शुरुआत एक आसान से शेप के साथ की जाती है, जिसमें सुधार करने होते हैं। स्कलप्टिंग की शुरुआत डिजिटल "चिकनी मिट्टी" के एक ढेर के साथ होती है जिसे कई तरह के टूल्स की मदद से शेप्स में ढाला जा सकता है।
  • बारीकी। दोनों ही तरीकों का इस्तेमाल करके अच्छी-खासी बारीकियाँ डाली जा सकती हैं, लेकिन आपको अगर लाजवाब तरीके वाली बारीकियाँ चाहिए तो स्कलप्टिंग आपके लिए बेहतर रहेगी।
  • वर्कफ़्लो। बॉक्स मॉडलिंग ज़्यादा स्ट्रक्चर्ड होती है, जबकि स्कल्पटिंग ज़्यादा फ़्रीफ़ॉर्म होती है।

दोनों ही तरीके अलग-अलग किस्मों वाले प्रॉजेक्ट्स के लिए मददगार होते हैं। बॉक्स मॉडलिंग मशीनरी, वाहनों, और आर्किटेक्चरल एलिमेंट्स जैसे हार्ड-सर्फ़ेस मॉडल्स के लिए बेहतरीन होती है। यह लो-पॉली मॉडल्स के लिए भी बेहतरीन होती है। ऑर्गेनिक मॉडल्स के लिए स्कल्प्टिंग सबसे अच्छी होती है, जिन्हें कैरेक्टर्स, एनिमल्स, या कुदरत जैसे कई महीन बारीकियों की ज़रूरत होती है।

बॉक्स मॉडलिंग का इस्तेमाल करने की शुरुआत करना।

बॉक्स मॉडलिंग का इस्तेमाल शुरू करने के लिए ये रही एक चटपट गाइड:

  1. सबसे ज़रूरी बातों को समझें। सबसे पहले खुद को 3D मॉडलिंग के सबसे अहम कॉन्सेप्ट्स, जैसे, कोनों, किनारों, व सतहों के बारे में जानकारी हासिल करें। इससे आपके लिए 3D मॉडल्स में हेरफेर करना बहुत आसान हो जाएगा।
  2. 3D मॉडलिंग सॉफ़्टवेयर चुनें। अगर आपको बॉक्स मॉडलिंग का इस्तेमाल करना है, तो मज़बूत पॉलीगनल मॉडलिंग टूल्स वाले सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करें।
  3. एक आसान प्रॉजेक्ट आज़माकर देखें। कुर्सी-मेज़ जैसी आसान चीज़ों की मॉडलिंग करके शुरुआत करें। खुद से कुछ बनाकर सीखने से आपको आगे के बड़े प्रॉजेक्ट्स के लिए पूरे काम को समझने में मदद मिलेगी।
  4. हेरफेर करने की प्रैक्टिस करें। अपने बॉक्स मॉडलिंग हुनर में निखार लाने के लिए कोनों, किनारों, और सतहों को इधर-उधर ले जाएँ, ज़रूरत के हिसाब से उनका साइज़ घटाएँ या बढ़ाएँ, और उन्हें घुमाएँ।
  5. सबडिविज़न आज़माएँ। मॉडल को जितने ज़्यादा हिस्सों में बाँटा जाएगा, वह उतना ही ज़्यादा कॉम्प्लेक्स और बारीक होगा। और ज़्यादा रियलिस्टिक मॉडल्स बनाने के लिए इस टेक्नीक की मदद से नए-नए आइडियाज़ आज़माकर देखें।

लगातार सीखते रहना भी एक अच्छा आइडिया है। अपनी 3D मॉडलिंग की जानकारी को बेहतर बनाने के लिए ऑनलाइन ट्यूटोरियल्स, फ़ोरम्स, और इस तरह की गाइड्स देखें।

बॉक्स मॉडलिंग, नए अंदाज़ में: Adobe Substance के नए और नायाब टूल्स।

3D मॉडलिंग की दुनिया में शुरुआत कर रहे लोगों के लिए बॉक्स मॉडलिंग बेहतरीन है। यह स्कलप्टिंग के मुकाबले ज़्यादा स्ट्रक्चर्ड है, मगर फिर भी डिज़ाइन्स में बड़े पैमाने पर बारीकियाँ डाली जा सकती हैं।

3D मॉडलिंग की जितनी ज़्यादा प्रैक्टिस की जाए, आपके हुनर में उतना ही निखार आता है। अच्छी क्वालिटी वाले मॉडल्स बनाने व अपनी क्रिएशन्स में जान डालने के लिए इस बुनियादी टेक्नीक की मदद से नए-नए आइडियाज़ आज़माकर देखें। Adobe Substance 3D में बॉक्स मॉडलिंग अभी आज़माकर देखें

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

बॉक्स मॉडलिंग और एज मॉडलिंग एक-दूसरे से अलग कैसे हैं?

बॉक्स मॉडलिंग की शुरुआत क्यूब जैसे किसी आसान से शेप के साथ की जाती है, जिसमें आपको सुधार करने होते हैं। एज मॉडलिंग की शुरुआत पॉलीगन की किसी एक सतह से होती है, जिसके किनारों को खींचकर बड़ा करके व नई सतहें बना करके शेप को एक्सपैंड किया जाता है। एज मॉडलिंग से आपको मॉडल में मनचाहे हिस्सों पर ज़्यादा कंट्रोल मिलता है, जबकि बॉक्स मॉडलिंग में पूरे ऑब्जेक्ट पर फ़ोकस किया जाता है।

क्या कोई ऐसी 3D मॉडलिंग है, जो बॉक्स मॉडलिंग से मिलती-जुलती हो?

सबडिविज़न सर्फ़ेस मॉडलिंग बॉक्स मॉडलिंग से मिलती-जुलती है। आपको एक आसान से शेप के साथ शुरुआत करनी होती है और उसे हिस्सों में बाँटकर बारीकियाँ डालनी होती हैं। लेकिन ज़्यादा साफ़-सुथरे और अच्छे से डिफ़ाइन किए गए मॉडल्स पक्का करने के लिए यह टोपॉलॉजी पर ज़्यादा फ़ोकस करती है।

बॉक्स मॉडलिंग की कुछ कमियाँ क्या-क्या हैं?

होशियार नहीं रहने पर बॉक्स मॉडलिंग की वजह से जियॉमेट्री अस्तव्यस्त हो सकती है, खासकर ज़्यादा जटिल 3D डिज़ाइन्स में। मॉडल बनाने का काम एक बार आगे बढ़ जाए, तो उसके स्ट्रक्चर में बड़े बदलाव करना मुश्किल हो जाता है।

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