UV मैपिंग क्या होती है?
अगर आपने कभी किसी संतरे का छिलका उतारा है, तो आपने एक 3D ऑब्जेक्ट को सपाट रूप से फैला हुआ देखा है। UV मैपिंग क्या है, इसे समझने के लिए यह एक अच्छा उदाहरण है। कई वर्कफ़्लोज़ में, 3D मॉडल बनाने के लिए UV मैपिंग और टेक्सचरिंग करना सबसे ज़रूरी स्टेप होता है।
UV मैपिंग को समझना।
UV मैपिंग कैसे काम करती है?
UV मैपिंग आपके 3D मॉडल और इसकी विज़ुअल अपील के बीच की कड़ी का काम करता है। UV मैप को एक कैनवस के रूप में देखें: हम आपके मॉडल में मौजूद बारीक कर्व्स और सर्फ़ेसेज़ को लेते हैं और उन्हें एक 2D प्लेन पर खोलते हैं। साफ़-सुथरा काम किया जाए, तो हमारा मैप ज़्यादा से ज़्यादा सटीक होता है और यह आपके मॉडल की सर्फ़ेस के हरेक प्वाइंट के लिए बिलकुल अलग-अलग कोऑर्डिनेट्स असाइन कर देता है।
• कोऑर्डिनेट असाइनमेंट: आपके मॉडल की खोली गई सर्फ़ेस को किसी 2D प्लेन पर रखा जाना UV अनरैपिंग होती है। यह काम किसी सॉफ़्टवेयर में अपने आप हो सकता है या इसे आपको खुद से करना पड़ सकता है।
• टेक्सचर ऐप्लिकेशन: UV मैप के बन जाने के बाद, टेक्सचर्स या इमेजेज़ को मॉडल के 2D रिप्रज़ंटेशन के हिसाब से सही जगहों पर रखकर अप्लाई किया जाता है। अगर यह काम सही से पूरा किया जाए, तो UV कोऑर्डिनेट्स तय करते हैं कि टेक्सचर्स सर्फ़ेस के चारों किस तरह से लगे हुए होंगे और पक्का किया जा सकेगा कि विज़ुअल्स ज़्यादा से ज़्यादा साफ़-सुथरे हों।
• रिफ़ाइनमेंट: सीम्स कम से कम रखें, यह पक्का करने के लिए फ़ाइन-ट्यून करना अक्सर ज़रूरी होता है, और ज़रूरत पड़ने पर सीम्स को सावधानी से ऐसी जगहों पर रखा जाता है जहाँ से वे देखी न जा सकें या लोगों की निगाह में कम आएँ। सही रिज़ॉल्यूशन और स्केलिंग पक्का करने के लिए मैप के हिस्सों को खींचा जा सकता है, घुमाया जा सकता है, और ज़रूरत के हिसाब से साइज़ को घटाया या बढ़ाया जा सकता है।
यूवी मैप टेक्सचर्स की किस्में।
1. ऑटोमैटिक UV मैपिंग।
2. प्लेनर UV मैपिंग।
3. गोलाकार UV मैपिंग।
4. यूज़र की तय की हुई UV मैपिंग।
5. UV मैप टेक्सचर इफ़ेक्ट्स।
किसी 3D मॉडल को टेक्स्चर देने की बात की जाए, तो आमतौर पर एक ही मैप काफ़ी नहीं होता। बेहतरीन रिज़ल्ट्स हासिल करने के लिए आम तौर कई स्पेशल इफ़ेक्ट्स की ज़रूरत पड़ती है। यहाँ कुछ सामान्य टेक्सचर मैप्स दिए गए हैं जिन्हें आर्टिस्ट्स एक साथ इस्तेमाल करके फ़ाइनल टेक्सचर वाला मॉडल तैयार करते हैं।
डिफ़्यूज़ मैप
डिफ्यूज़ मैप आपके मॉडल को उसका बुनियादी कलर मुहैया कराता है। सेट अप किए जाने पर 3D सॉफ़्टवेयर इस मैप का इस्तेमाल करके रिफ़लेक्ट की गई लाइट को शेड भी करता है, जिससे सीन में मौजूद लाइट और ज़्यादा सच्चाई के करीब लगती है।
अल्बीडो मैप
ये टेक्स्चर्स डिफ्यूज़ मैप्स की तरह होते हैं और कुछ सॉफ़्टवेयर्स में डिफ्यूज़ मैप की जगह इन्हें इस्तेमाल किया जाता है। सबसे बड़ा फ़र्क यह है कि अल्बीडो मैप्स कोई शैडो या ग्लेयर नहीं दिखाते। इस तरह अल्बीडो मैप किसी ऑब्जेक्ट के बुनियादी कलर को न्यूट्रल लाइटिंग कंडीशन्स में तय करता है।
स्पेक्युलर मैप
स्पेक्युलर मैप टेक्सचर्स स्पेक्युलर लाइट्स की इंटेंसिटी और लोकेशन तय करते हैं। स्पेक्युलर हाइलाइट्स चमकीले रिफ़्लेक्शन्स होते हैं, जो सर्फ़ेसेज़ से लाइट सोर्सेज़ के सीधे टकराकर वापस जाने पर दिखाई पड़ते हैं। इस तरह ये मैप्स इन सर्फ़ेस हाइलाइट्स की मज़बूती, कलर, खुरदुरापन, और चिकनेपन को कंट्रोल करने में मदद करते हैं।
ऐम्बिअंट अक्लूज़न (AO) मैप
ऐम्बिअंट अक्लूज़न खास किस्म के टेक्सचर्स होते हैं जो किसी मॉडल के अंदर की तरफ़ मुड़ते हुए हिस्सों पर शैडोज़ स्टिम्युलेट करते हैं। किसी 3D ऑब्जेक्ट की जियॉमेट्री में ज़्यादा बारीकियाँ डाले बिना ही उसे रियलिस्टिक बनाने का यह किफ़ायती तरीका है।
सामान्य मैप
एक सामान्य मैप एक RGB इमेज होती है। इसे तीन तीन ऐक्सिस प्वाइंट्स पर इमेज लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इससे सर्फ़ेस में गहराई व और ज़्यादा रियलिज़्म होने का एहसास होता है और ऐसा ऑब्जेक्ट की जियॉमेट्री और ज़्यादा कॉम्प्लेक्स बनाए बिना ही किया जाता है।
डेमियन गिमोन्यू की इमेज।