लो-पॉली 3D मॉडल्स व कैरेक्टर्स बनाना।

लो-पॉलीगन, या लो-पॉली मॉडलिंग, एक ऐसी टेक्नीक है जो कम तादाद में ही पॉलीगन का इस्तेमाल करके 3D मॉडल्स और कैरेक्टर्स बनाती है। यह टेक्नीक ज़रूरत की वजह से वजूद में आई क्योंकि पुराने कम्प्यूटर्स सिर्फ़ लो-पॉली मॉडल्स पर ही काम कर सकते थे, मगर आज यह क्रिएटिविटी व काम की रफ़्तार, दोनों को बैलेंस करके चलने वाली टेक्नोलॉजी के रूप में मशहूर हो चुकी है।

लो-पॉली मॉडलिंग को समझने से आपको असली लगने वाले ऐसे कैरेक्टर्स और मॉडल्स डिज़ाइन करने में मदद मिलेगी जो कम पॉलीगन्स और तेज़ लोड टाइम्स के साथ बारीकियों, जज़्बातों, और कहानी को असरदार ढंग से बयान करते हैं। इस गाइड में बताया जाएगा कि लो-पॉली 3D मॉडल्स क्या होते हैं और क्रिएशन्स में उनका इस्तेमाल कैसे शुरू किया जा सकता है।

लो पॉली 3D मॉडल क्या होता है?

लो-पॉली मॉडल एक 3D मॉडल होता है, जिसमें मौजूद पॉलीगन की तादाद छोटी होती है। इसके सीधे किनारों वाले शेप्स दिखने में ऐब्स्ट्रैक्ट और एक हद तक क्यूबिस्ट लगते हैं। इस रूप में यह अपने हाइपर-रियलिस्टिक काउंटरपार्ट, यानी हाई-पॉली मॉडल से अलग होता है।

लो-पॉली मॉडल्स दिखने में सच्चाई के कम करीब लग सकते हैं, लेकिन उनके कई फ़ायदे होते हैं:

  • परफ़ॉर्मेंस लो-पॉली मॉडल्स को कम प्रॉसेसिंग पावर की ज़रूरत होती है और इस तरह वे वीडियो गेम्स के लिए बेहतरीन होते हैं। कुछ वीडियो गेम डिज़ाइनर्स रेट्रो थ्रोबैक एक्सपीरियंस बनाने के लिए लो-पॉली मॉडल चुनते हैं।
  • स्टाइल। लो-पॉली मॉडल्स में एक साफ़-सुथरा, अनोखा एस्थेटिक होता है, जो हाइपर-रियलिज़्म के ट्रेंड के बीच अलग हटकर नज़र आता है।
  • इस्तेमाल में आसानी। लो-पॉली मॉडल्स में कम बारीकियाँ शामिल होती हैं, जिससे डिज़ाइन का काम तेज़ हो जाता है।
  • शुरुआत करने वाले लोगों के लिए आसान। लो-पॉली मॉडल्स शेप, फ़ॉर्म, और टेक्सचर की बुनियादी बातें सीखने के लिए बेहतरीन होते हैं।

लो-पॉली 3D मॉडलिंग का इस्तेमाल करने की शुरुआत करना।

3D मॉडलिंग की मदद से डिजिटल स्पेस में तीन डायमेनशन्स वाले ऑब्जेक्ट्स बनाए जा सकते हैं। हर 3D मॉडल कोनों, किनारों, और सतहों से मिलकर बना होता है। लो-पॉली 3D मॉडलिंग की मदद से मनचाहे शेप व बारीकियाँ बनाते समय मकसद होता है कम से कम कम्पोनेंट्स इस्तेमाल करना।

Adobe Substance 3D की मदद से ऐसे लो-पॉली मॉडल्स बनाए जा सकते हैं, जो पुराने दौर की याद दिलाने के साथ-साथ मॉडर्न भी दिखें। Substance 3D Painter का इस्तेमाल करके अपनी डिज़ाइन्स के लिए लो-पॉली मेशेज़ तैयार करें। नेविगेशन को कम करने के लिए प्लैटफ़ॉर्म में रेडीमेड शॉर्टकट्स पहले से मौजूद होते हैं, ताकि आप डिज़ाइनिंग मोड में ज़्यादा समय बिता सकें।

लो-पॉली मॉडलिंग टेकनीक्स का इस्तेमाल करके क्या-क्या किया जा सकता है?

लो-पॉली 3D कैरेक्टर्स गढ़ना।

लो-पॉली 3D कैरेक्टर्स गढ़ने के लिए ये रही एक चटपट गाइड:

  1. रेफ़रेंस इमेजेज़ और कॉन्सेप्ट आर्ट से शुरुआत करें। 3D डिज़ाइन बनाने से पहले हमेशा एक साफ़-सुथरा विशन रखें। रेफ़रेंस इमेजेज़ से आपको एक रोडमैप मिलेगा, ताकि आप अपने ओरिजिनल आइडिया पर कायम रह सकें।
  2. शुरुआती रूप गढ़ें। किसी क्यूब या गोले जैसे आसान शेप से शुरुआत करें। मॉडल के कम्पोनेंट्स को ज़रूरत के हिसाब से छोटा-बड़ा करने, मूव करने, और रोटेट करने के लिए ट्रांसफ़ॉर्मेशन टूल्स का इस्तेमाल करें।
  3. बारीकियाँ डालें। काम करने के लिए आसान शेप को चुन लेने के बाद, अब एक ज़्यादा रियलिस्टिक मॉडल बनाने का समय हो चुका है। एक्सट्रूज़न आपके मॉडल के हिस्सों को खींचकर लिम्ब्स जैसे फ़ीचर्स बना देगा। बेवलिंग ज़्यादा बारीक लुक के लिए नुकीले किनारों को मोटा बना देती है। कुछ मामलों में, सबडिवीज़न का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो बारीकियाँ बढ़ाने के लिए कुछ तय हिस्सों में ही पॉलीगन की तादाद बढ़ाता है, जैसे, किसी कैरेक्टर के चेहरे के फ़ीचर्स में बारीकियाँ जोड़ने के लिए।

लो-पॉली 3D ऑब्जेक्ट्स की मॉडलिंग करना।

लो-पॉली डिज़ाइन आर्किटेक्चरल विज़ुअलाइज़ेशन्स के लिए मशहूर है, क्योंकि यह तेज़ रेंडरिंग व स्टाइलिश लुक की सुविधाएँ देता है। इससे आर्किटेक्चरल मॉडलिंग के शुरुआती पड़ावों में लो-पॉली डिज़ाइन ज़्यादा मददगार हो जाती है।

चाहे आप आर्किटेक्चर में हों या आपको कोई वीडियो गेम डिज़ाइन करना हो, लो-पॉली 3D ऑब्जेक्ट्स बनाने के लिए इन सुझावों को अपनाएँ:

  1. एक आसान स्ट्रक्चर बनाएँ। आसान जियॉमेट्रिक फ़ॉर्म्स बनाकर शुरुआत करें। लो-पॉली 3D मॉडल की स्टाइल को बरकरार रखते हुए कॉम्प्लेक्स स्ट्रक्चर्स बनाने के लिए इन शेप्स को कम्बाइन करें, इंटरसेक्ट करें, और उनमें बदलाव करें।
  2. टेक्सचर डालें। उसके बाद, ऑब्जेक्ट में टेक्सचर डालें। गड़बड़ियों से बचने के लिए UV अनरैपिंग का इस्तेमाल करके पक्का करें कि मॉडल की हरेक सतह टेक्सचर के साथ पूरी तरह से अलाइन हो गई हो।
  3. कारगर व असरदार बनाएँ। अपने मॉडल की पड़ताल करें। किन-किन हिस्सों से पॉलीगन्स को या बारीकियों को हटाया जा सकता है? कारगर व असरदार बनाए गए मॉडल्स ज़्यादा तेज़ी से रेंडर होते हैं और बेहतर परफ़ॉरमेंस देते हैं, इसलिए सभी गैर-ज़रूरी बारीकियाँ हटा दें।

कारगर व असरदार बनाने और रफ़्तार बढ़ाने के लिए काम की बातें।

आइए, कारगर व असरदार बनाने और रफ़्तार बढ़ाने के लिए कुछ काम की बातें देखें:

  1. कारगर व असरदार UV मैपिंग। कोई टेक्सचर दिए जाने पर UV मैपिंग मॉडल की जियॉमेट्री को सपाट करके 2D में तब्दील कर देती है। कारगर व असरदार लेआउट से टेक्स्चर की जगह ज़्यादा से ज़्यादा हो जाती है, जिससे हाई-रेज़ॉल्यूशन वाले टेक्स्चर्स की ज़रूरत कम हो जाती है। आपकी जियॉमेट्री हरगिज़ ओवरलैप नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे कुछ हैरान कर देने रिज़ल्ट्स सामने आ सकते हैं।
  2. गैर-ज़रूरी जियॉमेट्री को कम करें। जो सतहें व कोने नज़र नहीं आएँगे, उन्हें हटा दें। उदाहरण के लिए, अगर देखने वाला मॉडल के निचले या पीछे वाले हिस्से को नहीं देख सकता, तो आमतौर पर उसे हटा देने से कोई दिक्कत नहीं होती।
  3. टेक्सचर ऑप्टिमाइज़ेशन का इस्तेमाल करें। टेक्स्चर कम्प्रेशन टूल्स विज़ुअल क्वालिटी में कोई खास गिरावट लाए बिना ही फ़ाइल साइज़ को काफ़ी कम कर देते हैं। मॉडल के लिए बिल्कुल नए टेक्सचर्स बनाने के बजाय, दोहराए जा सकने वाले छोटे टेक्सचर्स का इस्तेमाल करें। इससे मेमोरी और टेक्सचर की जगह बचती है।

लो-पॉली मॉडलिंग के लिए Adobe Substance सबसे अच्छा ऑप्शन क्यों है।

लो-पॉली 3D मॉडल्स की मदद से कम पॉलीगन्स वाले ऑब्जेक्ट्स और कैरेक्टर्स बनाए जा सकते हैं। इससे मिलने वाली इमेजेज़ शायद रियलिस्टिक या हाई-रेज़ॉल्यूशन न हों, मगर वे रेट्रो डिज़ाइन्स व आर्किटेक्चरल विज़ुअलाइज़ेशन्स के लिए काफ़ी सही होती हैं।

लो-पॉली 3D मॉडलिंग सीखने से न सिर्फ़ खेलने के लिए एक अनोखा एस्थेटिक मिलता है, बल्कि इससे रिसोर्सेज़ और रेंडर टाइम्स को मैनेज करने में भी मदद मिलती है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

लो-पॉली और हाई-पॉली 3D मॉडल्स एक-दूसरे से अलग कैसे हैं?

लो-पॉली मॉडल्स में कम पॉलीगन्स होते हैं, जिससे वे दिखने में ज़्यादा सीधे-सादे नज़र आते हैं। हाई-पॉली मॉडल्स में ज़्यादा पॉलीगन्स होते हैं, जिससे ज़्यादा जटिल विज़ुअल्स बनते हैं।

क्या लो-पॉली 3D आर्ट आसान होता है?

ऐसा हमेशा नहीं होता। एक आसान लो-पॉली मॉडल बनाने में बारीकियों वाला हाई-पॉली मॉडल बनाने के मुकाबले कम समय लग सकता है। लेकिन इतने कम पॉलीगन्स के साथ पहचान में आने लायक ऑब्जेक्ट्स बना पाना मुश्किल हो सकता है। आर्टिस्टिक तौर पर बात की जाए, तो लो-पॉली डिज़ाइन्स ज़्यादा मुश्किल हो सकती हैं।

क्या लो-पॉली 3D मॉडल्स दिखने में असली जैसे लग सकते हैं?

असरदार टेक्सचरिंग, लाइटिंग, और रेंडरिंग टेक्नीक्स की मदद से लो-पॉली 3D मॉडल्स को दिखने में ज़्यादा असली जैसा बनाया का सकता है। यह डिज़ाइन को ज़्यादा गहराई देता है, लेकिन हाई-पॉली मॉडल्स के मुकाबले वे दिखने में हमेशा ज़्यादा जियॉमेट्रिक नज़र आएँगे।

किसी लो-पॉली मॉडल में कितनी सर्फ़ेसेज़ होनी चाहिए?

यह यूज़ केस और प्लैटफ़ॉर्म से तय होता है। किसी मोबाइल गेम में लो-पॉली कैरेक्टर के लिए 500 पॉलीगन्स की ज़रूरत पड़ सकती है, जबकि हो सकता है कि बैकग्राउंड ऑब्जेक्ट में महज़ 100 पॉलीगन्स ही हों। मकसद है सभी ज़रूरी बारीकियाँ दर्शाने के लिए कम से कम पॉलीगन्स इस्तेमाल करना।

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