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नॉर्मल मैपिंग प्रॉसेस को समझना।

3D मॉडलिंग में, सर्फ़ेसेज़ को पॉलीगन्स से दर्शाया जाता है। इन पॉलीगन्स की जियॉमेट्री के आधार पर ठीक उसी तरह लाइटिंग कैल्क्युलेट की जाती है, जैसे कोई आर्टिस्ट थ्री डायमेंशन्स की नकल करने के लिए शेडिंग टेकनीक्स का इस्तेमाल करता है। यह तरीका बहुत अच्छी तरह से काम करता है; हालाँकि, यह कम्प्यूटेशनल रूप से महँगा हो सकता है, जिससे मुमकिन बारीकी का ओवरऑल लेवल लिमिटेड हो जाता है। नॉर्मल मैपिंग मूलभूत जियॉमेट्री को बदले बिना ही सर्फ़ेस के साथ लाइट के इंटरैक्शन के तरीके में बदलाव करके एक शानदार, हल्का सल्यूशन उपलब्ध कराती है।

नॉर्मल मैप्स सर्फ़ेस के बारे में जानकारी को टेक्सचर इमेज के रूप में स्टोर करते हैं। किसी टेक्सचर में सर्फ़ेस नॉर्मल एनकोड करके, नॉर्मल मैप्स नीचे की जियॉमेट्री की जटिलता को बढ़ाए बिना ही, सर्फ़ेस की बारीकी, जैसे कि बम्प्स, खरोंच, झुर्रियों, व अन्य चीज़ों की मौजूदगी को सिम्युलेट कर सकते हैं।

नॉर्मल मैप्स की कैल्क्युलेशन नॉर्मल मैप से मॉडिफ़ाइड सर्फ़ेस नॉर्मल का इस्तेमाल करके रेंडरिंग के दौरान की जाती है। ये कैल्क्युलेशन्स कम कम्प्यूटेशनल पावर खर्च करती हैं, इसलिए असल समय में भी अच्छी-खासी बारीकी हासिल की जा सकती है। इसीलिए नॉर्मल मैप्स वीडियो गेम डेवलपर्स के बीच काफ़ी मशहूर हैं।

आज हमें नॉर्मल मैपिंग किन जगहों पर दिखती है।

कुल मिलाकर, नॉर्मल मैपिंग कई चीज़ों में काम आने वाली टेकनीक है, और रफ़्तार बढ़ाने और वर्कफ़्लो बेहतर बनाने के लिए इसे कोई भी 3D आर्टिस्ट और डिज़ाइनर इस्तेमाल कर सकता है।

आपको नॉर्मल मैपिंग न सिर्फ़ उन चीज़ों में दिखेगी जिनमें हार्डवेयर की पाबंदियाँ काफ़ी सख्त होती हैं और जिनमें रियल-टाइम में सीन्स रेंडर किए जाते हैं, बल्कि यह कंप्यूटर-एनिमेटेड फ़िल्म्स, आर्किटेक्चरल विज़ुअलाइज़ेशन, और प्रॉडक्ट डिज़ाइन में भी दिखती है।

नॉर्मल मैपिंग किसी ऑब्जेक्ट के कलराइज़ेशन पर असर नहीं डालती, इसलिए आपको दिखेगा कि इसका इस्तेमाल अक्सर ऐसे मामलों में किया जाता है, जहाँ ऑब्जेक्ट की सर्फ़ेस पूरी तरह से फ़्लैट या स्मूद नहीं होती। सही बात की जाए, तो इसका मतलब है कि लगभग हर 3D मॉडल में नॉर्मल मैप का होना बेहतर रहेगा, ताकि खराब हो चुके लेदर, बम्पी वुड ग्रेन्स, ह्यूमन स्किन, और फ़ैब्रिक वगैरह को अप्रूव किया जा सके।

ऐसे कई ज़रूरी टूल्स और सॉफ़्टवेयर उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल आम तौर पर नॉर्मल मैपिंग में होता है। यहाँ पर उनमें से कुछ दिए गए हैं:

1. 3D मॉडलिंग सॉफ़्टवेयर: Blender, Maya, ZBrush, व {{substance-3d-modeler}} जैसे टूल्स का इस्तेमाल उन मॉडल्स को बनाने के लिए किया जाता है, जो नॉर्मल मैपिंग के लिए इस्तेमाल होते हैं। कई बेहतरीन सॉफ़्टवेयर सल्यूशन्स हैं जो मॉडलिंग और स्कल्पटिंग के लिए अपने-अपने तरीके अपनाते हैं।

2. टेक्सचर पेंटिंग सॉफ़्टवेयर: {{substance-3d-painter}} या यहाँ तक कि Adobe Photoshop जैसे सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल नॉर्मल मैप्स सहित टेक्सचर मैप्स बनाने और एडिट करने के लिए किया जा सकता है।

3. नॉर्मल मैप जेनरेटर: नॉर्मल मैप जेनरेशन सॉफ़्टवेयर हाई-रेज़ोल्यूशन जियॉमेट्री या टेक्सचर की जानकारी से नॉर्मल मैप्स बनाने में मदद करता है। XNormal, CrazyBump, या Substance 3D Designer जैसे टूल्स कई तरह के इनपुट्स के आधार पर नॉर्मल मैप्स जेनरेट कर सकते हैं।

4. गेम इंजन्स: Unreal Engine और Unity जैसे गेम इंजन्स में नॉर्मल मैपिंग के लिए सपोर्ट पहले से मौजूद होता है। ये इंजन्स नॉर्मल इंजन्स का फ़ायदा उठाने के लिए ज़रूरी टूल्स और रेंडरिंग वाली खूबियाँ उपलब्ध कराते हैं। वे गेमिंग एक्सपीरियंसेज़ बनाने के साथ ही रेंडर्स बनाने के लिए भी उतने ही शानदार होते हैं।

5. Shader प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज़: HLSL (हाई-लेवल शेडिंग लैंग्वेज) या GLSL (OpenGL शेडिंग लैंग्वेज) जैसी शेडर प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज़ को समझना नॉर्मल मैपिंग का इस्तेमाल करने वाले कस्टम शेडर्स बनाने के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है। इन लैंग्वेजेज़ की मदद से डेवलपर्स तय करते हैं कि शानदार विज़ुअल इफ़ेक्ट्स बनाने के लिए नॉर्मल व अन्य टेक्सचर मैप्स के साथ लाइटिंग कैसे इंटरैक्ट करती है।

इस लिस्ट में सबकुछ शामिल नहीं हो सकता, लेकिन यह क्रिएटर्स को नॉर्मल मैपिंग की बुनियादी समझ बनाने और उन्हें रियल-टाइम रेंडरिंग एनवायरमेंट्स में अप्लाई करने का तरीका सीखने की शुरुआत के लिए एक बढ़िया जगह उपलब्ध कराती है।

Normal mapping process to create 3D textures
Playground Games के द्वारा इमेजेज़।
Normal mapping software generated leafs for 3D design

नॉर्मल मैप्स और बम्प मैप्स एक-दूसरे से अलग कैसे होते हैं।

नॉर्मल मैप्स और बम्प मैप्स 3D मॉडल्स में सर्फ़ेस की बारीकियाँ जोड़ने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक जैसी टेकनीक्स हैं। उनमें फ़र्क इस बात का होता है कि वे सर्फ़ेस नॉर्मल को कैसे दर्शाती हैं और उसमें हेरफेर कैसे करती हैं। यहाँ उनके फ़र्क के बारे में हर तरह की जानकारी दी गई है।
बम्प मैपिंग के बारे में जानकारी।
बम्प मैप्स को हाइट मैप्स या डिस्प्लेसमेंट मैप्स कहा जा सकता है। वे सर्फ़ेस में मौजूद वैरिएशन्स को दर्शाने वाली हाइट की जानकारी स्टोर करते हैं। वे ग्रेस्केल इमेजेज़ इस्तेमाल करते हैं, जहाँ हल्की या गहरी वैल्यूज़ सर्फ़ेस की ऊँचे या निचले एरियाज़ को दर्शाते हैं। बम्प मैप्स इन ग्रेस्केल वैल्यूज़ के आधार पर सर्फ़ेस नॉर्मल को पर्टर्ब करके रेंडर टाइम पर मॉडल की जियॉमेट्री में बदलाव कर देते हैं। इसलिए, जहाँ यह टेकनीक रेंडरिंग के दौरान मॉडल के साथ लाइट के इंटरैक्ट करने पर सर्फ़ेस की बारीकियों का भ्रम पैदा करती है, वहीं बम्प मैप्स में सर्फ़ेस नॉर्मल की जानकारी बिलकुल नहीं होती, सिर्फ़ ऊँचाई की जानकारी होती है।
नॉर्मल मैपिंग के बारे में जानकारी।

नॉर्मल मैप्स RGB इमेजेज़ का इस्तेमाल करके साफ़-साफ़ सर्फ़ेस नॉर्मल जानकारी स्टोर करते हैं, जिसमें हर कलर चैनल हर टेक्सेल पर सर्फ़ेस नॉर्मल वेक्टर के X, Y, और Z कम्पोनेंट्स को दर्शाता है। नॉर्मल मैप्स किसी सर्फ़ेस के ओरिएंटेशन के बारे में और ज़्यादा जानकारी कैप्चर करते हैं। नॉर्मल मैप्स मॉडल की जियॉमेट्री पर असर नहीं डालते, लेकिन फिर भी यह इसके ऊपर लाइट के इंटरैक्ट करने के तरीके में बदलाव करते हैं।

सिर्फ़ हाइट वैरिएशन्स के परे सर्फ़ेस की बारीकियों को कैप्चर करके नॉर्मल मैप्स, बम्प मैप्स के मुकाबले सबसे सटीक नतीजे देते हैं।

नॉर्मल मैपिंग के फ़ायदे और नुकसान।

फिर से दोहराने के लिए, नॉर्मल मैपिंग के कई फ़ायदे और कई कमियाँ होते हैं। ये रहे नॉर्मल मैपिंग के कुछ फ़ायदे और नुकसान:
नॉर्मल मैपिंग के फ़ायदे

1. सर्फ़ेस की असली लगने वाली बारीकियाँ: नॉर्मल मैपिंग जियॉमेट्रिक जटिलता को बढ़ाए बिना ही सर्फ़ेस की महीन बारीकियों को जोड़ने की सुविधा देती है।

2. कारगर व असरदार: नॉर्मल मैपिंग कम्प्यूटेशनल रूप से एक कारगर व असरदार टेकनीक है, खासकर सर्फ़ेस की बारीकियाँ बढ़ाने के लिए मॉडल्स में पॉलीगन्स की बढ़ती हुई तादाद के मुकाबले।

3. कम मेमरी की ज़रूरत: नॉर्मल मैप्स जानकारी को टेक्सचर फ़ॉर्मेट में स्टोर करते हैं, जिसके लिए आम तौर पर जियॉमेट्रिक जानकारी स्टोर करने के मुकाबले कम मेमरी खर्च होती है।

4. दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने की खूबी: नॉर्मल मैप्स को अलग - अलग मॉडल्स पर आसानी से अप्लाई किया जा सकता है, जिससे आर्टिस्ट्स और डेवलपर्स उन्हें कई एसेट्स में दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे प्रॉडक्ट का समय, मेहनत, और फ़ाइनल साइज़ बचता है।

5. इंटरैक्टिव लाइटिंग इफ़ेक्ट्स: नॉर्मल मैपिंग किसी मॉडल के साथ लाइट का इंटरैक्शन बढ़ाती है, डायनामिक 3D लाइटिंग इफ़ेक्ट्स की इजाज़त देती है, जैसे, स्पेक्युलर हाइलाइट्स, शेडिंग वैरिएशन्स, व और ज़्यादा सटीक रिफ़्लेक्शन्स।

नॉर्मल मैपिंग के नुकसान

1. जियॉमेट्री में लिमिटेड बदलाव: नॉर्मल मैप्स सिर्फ़ सर्फ़ेस की बारीकियों की बनावट पर असर डालते हैं और वे जियॉमेट्री में बदलाव नहीं कर सकते। उनके द्वारा बनाया गया भ्रम अक्सर फ़ायदेमंद हो सकता है, लेकिन कभी-कभी जियॉमेट्री में सचमुच बदलाव की ज़रूरत होने पर अन्य टेकनीक्स की ज़रूरत पड़ सकती है।

2. क्रिएशन और एडिटिंग: अच्छी क्वालिटी के नॉर्मल मैप्स बनाना मुश्किल हो सकता है और इसके लिए अलग से जानकारी और सॉफ़्टवेयर होने चाहिए। डेटा में मौजूद पेचीदगियों की वजह से नॉर्मल मैप्स को एडिट करना मुश्किल हो सकता है।

3. टेक्सचर स्पेस की सीमाएँ: नॉर्मल मैप्स के लिए एक्सट्रा टेक्सचर स्पेस की ज़रूरत होती है, क्योंकि उन्हें आमतौर पर RGB इमेज के रूप में स्टोर किया जाता है। इससे मेमरी के ओवरऑल इस्तेमाल पर असर पड़ सकता है और कुछ मामलों में इस्तेमाल को सावधानी से कारगर व असरदार बनाना पड़ सकता है।

4. टैंजेंट स्पेस की सीमाएँ: नॉर्मल मैप्स को आमतौर पर टैंजेंट स्पेस में डिफ़ाइन किया जाता है, यानी वे एक मॉडल के ओरिएंटेशन और UV कोऑर्डिनेट्स पर निर्भर करते हैं। अलग-अलग UV लेआउट्स या ओरिएंटेशन्स वाले मॉडल्स पर एक ही नॉर्मल मैप को अप्लाई करते हुए इसकी वजह से कभी-कभी विज़ुअल आर्टिफ़ैक्ट्स बन सकते हैं।

कुछ सीमाओं के बावजूद, असल समय में 3D मॉडल्स की विज़ुअल क्वालिटी और रियलिज़्म बढ़ाने के लिए नॉर्मल मैप्स सबसे असरदार टेकनीक होते हैं। नॉर्मल मैपिंग परफ़ॉर्मेंस और विज़ुअल फ़िडेलिटी के बीच एक अच्छा बैलेंस बनाती है, जो इसे 3D टेक्सचरिंग और रेंडरिंग के लिए एक बेशकीमती टूल बनाती है।

जानें कि नॉर्मल मैपिंग का इस्तेमाल कब करना होता है।

वैसे तो नॉर्मल मैपिंग को कभी भी इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि कोई आर्टिस्ट मैप्स का इस्तेमाल छोड़ना चाहता है और महीन बारीकियाँ सीधे मॉडल की जियॉमेट्री में डालना चाहता है। Substance 3D Modeler जैसे 3D स्कल्पटिंग सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करते समय यह खास तौर पर आसान होता है। दूसरी ओर, जब रियल-टाइम रेंडरिंग की ज़रूरत हो, तो हाई विजुअल क्वालिटी को बनाए रखते हुए सीन में कम पॉली काउंट रखने के लिए नॉर्मल मैप्स ज़रूरी होते हैं।

नॉर्मल मैपिंग के बारे में और जानें।

याद रखें, 3D के सभी पहलुओं की तरह, नॉर्मल मैपिंग की टेकनीक्स में महारत हासिल करने के लिए प्रैक्टिस ज़रूरी होती है। कोई और सॉफ़्टवेयर आज़माकर देखने से घबराएँ नहीं। अपने खुद के मॉडल्स में नॉर्मल मैप्स जोड़ें और विज़ुअल इफ़ेक्ट्स व उनका बिहैवियर ऑब्ज़र्व करें। कंप्यूटर की मेमरी और क्रिएशन में लगने वाले समय की बचत करते हुए जल्द ही कमाल के नतीजे हासिल करना सीखेंगे।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

गेम डिज़ाइन में नॉर्मल मैप क्या होता है?

नॉर्मल मैप एक किस्म का टेक्सचर मैप होता है जो RGB इमेज में सरफ़ेस नॉर्मल जानकारी स्टोर करता है। इसका इस्तेमाल मॉडल की जियॉमेट्री को बदले बिना ही उसकी सर्फ़ेस के साथ लाइट के इंटरैक्ट करने के तरीके को बदलने के लिए किया जाता है। नॉर्मल मैपिंग 3D गेम डिज़ाइन में खास तौर पर फ़ायदेमंद होती है, क्योंकि वीडियो गेम्स के चलने के लिए रियल-टाइम रेंडरिंग की ज़रूरत होती है, और नॉर्मल मैप्स मॉडल की सर्फ़ेस में सभी महीन बारीकियों की मॉडलिंग करने के मुकाबले ज़्यादा कारगर व असरदार होते हैं।

नॉर्मल मैप पर कितने चैनल्स होते हैं?

नॉर्मल्स को RGB (लाल, हरा, और नीला) इमेज का इस्तेमाल करके बनाया जाता है, जिसमें इमेज का हर कलर चैनल मैप के हर टेक्सेल पर सर्फ़ेस नॉर्मल के X, Y, और Z कम्पोनेंट को दर्शाता है। इसका मतलब है कि नॉर्मल मैप में तीन चैनल्स होते हैं, जिनमें से हर एक में पॉज़िटिव या नेगेटिव वैल्यूज़ होती हैं।

  • रेड चैनल (R) सर्फ़ेस नॉर्मल वेक्टर के X कंपोनेंट से मेल खाता है।
  • ग्रीन चैनल (G) सर्फ़ेस नॉर्मल वेक्टर के Y कंपोनेंट को दर्शाता है।
  • ब्लू चैनल (B) सर्फ़ेस नॉर्मल वेक्टर के Z कंपोनेंट को दर्शाता है।

सभी तीन चैनल्स का इस्तेमाल हरेक टेक्सल के लिए साफ़ ओरिएंटेशन डेटा उपलब्ध कराने के मकसद से एक साथ किया जाता है, जिसका इस्तेमाल रेंडरिंग के दौरान 3D मॉडल पर लाइटिंग और शेडिंग इफ़ेक्ट्स को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

इसे नॉर्मल मैप क्यों कहा जाता है?

कंप्यूटर ग्राफिक्स में, "नॉर्मल" एक ऐसे वेक्टर को दर्शाता है जो किसी सर्फ़ेस के एक तय बिंदु पर पर्पन्डिकुलर (या "नॉर्मल") होता है। इस तरह, हम नॉर्मल मैप्स को "नॉर्मल मैप्स" कहते हैं, क्योंकि वे किसी 3D मॉडल के सर्फ़ेस नॉर्मल्स के बारे में जानकारी स्टोर करते हैं।

रेंडरिंग के दौरान नॉर्मल मैप अप्लाई करने से, मैप के अंदर स्टोर की गई जानकारी के आधार पर 3D मॉडल के सर्फ़ेस नॉर्मल्स में बदलाव किया जाता है। नतीजतन, इससे लाइटिंग और शेडिंग इफ़ेक्ट्स पैदा होते हैं जो पेचीदा सरफ़ेस डिटेल्स का भ्रम पैदा करते हैं।

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