रे कास्टिंग क्या होती है?

इस गाइड में बताया जाएगा कि रे कास्टिंग क्या होती है, यह डिजिटल विज़ुअल्स को कैसे शेप करती है, और आप इस 3D मॉडलिंग टेक्नीक के इस्तेमाल की शुरुआत कैसे कर सकते हैं।

ray casting on an image of figures in a dystopian bar
रे कास्टिंग आजकल के वीडियो गेम डिज़ाइन का ज़रूरी हिस्सा है। अगर आपने कभी भी वीडियो गेम में असली लगने वाले विज़ुअल्स पर हैरानी जताई है, तो मुमकिन है कि उसमें रे कास्टिंग की भी मदद ली गई थी।

रे कास्टिंग की जानकारी।

रे कास्टिंग यह तय करने का तरीका है कि किसी वर्चुअल सीन में आँखों पर (या कैमरे पर) कितनी लाइट पड़ेगी। 3D ग्राफ़िक्स की मदद से, रे कास्टिंग देखने वाले के नज़रिए से डिजिटल एनवायरमेंट में डिजिटल लाइट बीम्स भेजने की नकल करती है। रेज़ सीन में मौजूद ऑब्जेक्ट्स के साथ इंटरसेक्ट करेंगी और ये इंटरसेक्शन्स कहाँ पर होते हैं व हरेक ऑब्जेक्ट की प्रॉपर्टीज़ क्या हैं, उसके आधार पर रे कास्टिंग स्क्रीन पर दिख रहे पिक्सेल्स का कलर और ब्राइटनेस तय करती है।

रेंडरिंग और विज़ुअलाइज़ेशन के लिए रे कास्टिंग बेहद ज़रूरी है, क्योंकि यह रियलिस्टिक लाइटिंग बनाती है। यह टेक्नीक डिजिटल एनवायरमेंट में असल दुनिया वाले ऑब्जेक्ट्स के साथ लाइट के इंटरैक्ट करने के तरीके को सिम्युलेट करती है, जिससे हैरान कर देने वाले रियलिस्टिक कैरेक्टर्स, ऑब्जेक्ट्स, और सीन्स सामने आते हैं।

रे कास्टिंग की हिस्ट्री।

रे कास्टिंग आजकल की 3D डिज़ाइन के लिए एक बुनियादी टेक्नीक है, लेकिन यह दशकों से वजूद में है। 1960 के दशक में, कंप्यूटर साइंटिस्ट्स ने असली लगने वाली इमेजेज़ के लिए सर्फ़ेसेज़ के साथ लाइट के इंटरैक्ट करने के तरीके को सिम्युलेट करने के मकसद से कुछ मेथड्स एक्सप्लोर किए। 1980 के दशक में, टर्नर व्हिटेड ने रिकर्सिव रे ट्रेसिंग पर एक पेपर लिखा जिसने इस टेक्नीक को मशहूर बना दिया। इसने रेज़ को रिकर्सिव तरीके से कास्ट करके रिफ़्लेक्शन्स व रीफ़्रेक्शन्स को हैंडल करने के कॉन्सेप्ट के बारे में बताया और यह रे कास्टिंग के लिए एक गेम-चेंजर साबित हुआ।

जॉन कारमैक ने 1990 के दशक की शुरुआत में "Wolfenstein 3D" नाम के गेम से रे कास्टिंग को मशहूर बनाया, जिसमें एक 2D दुनिया में 3D पर्सपेक्टिव बनाने के लिए रे कास्टिंग का इस्तेमाल किया गया था। 2000 के दशक में, डिजिटल सिम्युलेशन्स में रियल-टाइम रेंडरिंग के साथ काम करने के लिए रे कास्टिंग टेकनीक्स को रास्टराइज़ेशन के साथ मिला दिया गया। आज, कंपनीज़ हार्डवेयर से एक्सिलेरेट होने वाली रे ट्रेसिंग बना रही हैं, जो इस टेकनीक से की जाने वाली चीज़ों को एक नए मुकाम पर ले जा रही है।

असल दुनिया में इसके ऐप्लिकेशन्स।

रे कास्टिंग वीडियो गेम्स के लिए शानदार होती है, लेकिन यह कुछ और भी ज़रूरी चीज़ों में काम आती है, जैसे:

  1. मेडिकल इमेजिंग। रे कास्टिंग CT और MRI स्कैन के वॉल्यूमेट्रिक डेटा को रेंडर करती है। इससे मेडिकल प्रोफ़ेशनल्स को बारीकियों वाली 3D इमेजेज़ मिलती हैं, जिससे डायग्नोसिस और ज़्यादा सटीक हो जाती है।
  2. आर्किटेक्चरल विज़ुअलाइज़ेशन्स। आर्किटेक्ट्स यह अनुमान लगाने के लिए रे कास्टिंग का इस्तेमाल करते हैं कि लाइट उनके स्पेसेज़ के साथ कैसे इंटरैक्ट करेगी। यह खास तौर पर यह समझने के लिए फ़ायदेमंद है कि दिन या साल के अलग-अलग समय में सूरज की रोशनी कमरों को कैसे रोशन करेगी।
  3. वर्चुअल रियालिटी (VR). VR गेज़ ट्रैकिंग और ऑब्जेक्ट सिलेक्शन सहित इंटरैक्शन डिटेक्शन के लिए रे कास्टिंग का इस्तेमाल करता है। इससे यूज़र को ज़्यादा इमर्सिव एक्सपीरियंस मिलता है।
  4. गेम्स। वीडियो गेम डिज़ाइन के लिए रे कास्टिंग ज़रूरी है, क्योंकि यह रियलिस्टिक, इंटरैक्टिव एनवायरमेंट्स के साथ काम करती है। वीडियो गेम्स रेंडर करने और टक्कर की पहचान करने सहित कई तरह की चीज़ों के लिए रे कास्टिंग का इस्तेमाल करते हैं। Doom Eternal और Cyberpunk 2077 जैसे गेम्स काम पर लगी हुई रे कास्टिंग के कुछ उदाहरण हैं।

वॉल्यूमेट्रिक रे कास्टिंग।

वॉल्यूमेट्रिक रे कास्टिंग, स्टैंडर्ड रे कास्टिंग से एक कदम आगे जाती है। यह टेकनीक वॉल्यूमेट्रिक डेटा, जैसे कि 3D टेक्स्चर्स और डेटासेट्स का इस्तेमाल करती है। स्टैंडर्ड रे कास्टिंग सर्फ़ेसेज़ को रेज़ के साथ इंटरसेक्ट करती है, जबकि वॉल्यूमेट्रिक रे कास्टिंग पूरे स्पेस के डेटा को सैंपल करती है। यह मेडिकल इमेजिंग जैसे कामों में फ़ायदेमंद होता है, जिसमें मॉडल CT या MRI स्कैन्स के 3D डेटा को विज़ुअलाइज़ करता है।

रे कास्टिंग बनाम रेंडरिंग की अन्य टेकनीक्स।

Adobe Substance 3D, 3D मॉडल्स को जेनरेट करने, उनमें बदलाव करने और, उन्हें स्टाइलाइज़ करने का एक क्रिएटिव स्वीट है। रे कास्टिंग Substance 3D का एक अहम हिस्सा है, जो टेक्सचर बेकिंग में, या डिजिटल मटीरियल्स के साथ लाइट के इंटरैक्ट करने के तरीके में मदद करता है। Substance 3D के 3D टूल्स के अलावा, रे कास्टिंग बेहद रियलिस्टिक 3D मॉडल्स के लिए बारीकियों वाले सटीक टेक्सचर्स क्रिएट करना मुमकिन बनाती है।

आइए देखें कि रे कास्टिंग अन्य रेंडरिंग टेकनीक्स से अलग कैसे होती है:

  1. रे कास्टिंग। यह तरीका देखने वाले की पोज़िशन के हिसाब से सीन में रेज़ डालकर विज़िबिलिटी तय करता है।
  2. रास्टराइज़ेशन। यह 3D मॉडलिंग टेकनीक डिस्प्ले के लिए जियॉमेट्रिक शेप्स को पिक्सेल्स में बदल देती है। इसे वीडियो गेम्स के लिए रियल-टाइम ग्राफ़िक्स में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।
  3. रे ट्रेसिंग। यह रे कास्टिंग का एक एडवांस्ड रूप है। यह किसी सीन से गुज़रती हुई लाइट रेज़ का पाथ सिम्युलेट करती है। रे ट्रेसिंग बेहद रियलिस्टिक इमेजेज़ बनाती है, लेकिन इसकी कंप्यूटेशनल लागत बहुत ज़्यादा होती है।

रे कास्टिंग का इस्तेमाल शुरू करना।

ये रही रे कास्टिंग का इस्तेमाल शुरू करने का तरीका बताने वाली एक चटपट गाइड:

  1. सबसे ज़रूरी बातों को समझें। जानें कि रेज़ क्या होती हैं और वे कैसे काम करती हैं, साथ ही, वे किसी सीन में मौजूद ऑब्जेक्ट्स के साथ इंटरसेक्ट कैसे करती हैं।
  2. आसान सीन्स से शुरुआत करें। अगर आपने अभी-अभी शुरुआत की है, तो गोले और प्लेन्स जैसे आसान शेप्स से शुरुआत करें। इन ऑब्जेक्ट्स को गहराई देने के लिए शेडिंग की आसान टेकनीक्स इस्तेमाल करें। आपको दिखेगा कि कैसे ये ऑपशन्स सीन में मौजूद शैडोज़, रिफ़्लेक्शन्स, और रीफ़्रेक्शन्स पर असर डालते हैं।
  3. कॉम्प्लेक्स सीन्स तक जाएँ। इसे कर लेने के बाद और ज़्यादा ऑब्जेक्ट्स व मटीरियल्स शामिल करें।

हालाँकि इससे इस्तेमाल शुरू करने में आपको मदद मिलेगी, लेकिन अपने रे कास्टिंग हुनर को निखारते रहना न भूलें। Adobe Substance 3D के ऑनलाइन ट्यूटोरियल्स, कम्युनिटीज़, और गाइड्स समय के साथ आपके हुनर में निखार लाएँगे।

फ़र्क देखें: Adobe Substance की मदद से रे कास्टिंग।

डिजिटल स्पेस में असल दुनिया वाली लाइटिंग की नकल करके रे कास्टिंग ज़्यादा रियलिस्टिक डिजिटल सीन्स बनाता है। मेडिकल इमेजिंग से लेकर वीडियो गेम्स तक, रे कास्टिंग डिजिटल दौर में हकीकत को शामिल करने का काम करती है। अपने खुद के शानदार विज़ुअल्स बनाएँ: Adobe Substance 3D में अभी रे कास्टिंग आज़माकर देखें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

रे कास्टिंग मेथड क्या होता है?

रे कास्टिंग सीन में देखने वाले को या कैमरे को दर्शाने वाले प्वाइंट से रेज़ भेजता है। ये रेज़ सीन में मौजूद ऑब्जेक्ट्स की विज़िबिलिटी, कलर, या अन्य खूबियों को बदलने के लिए उनके साथ इंटरसेक्ट करती हैं।

आसान लहज़े में बात की जाए, तो रे कास्टिंग क्या होती है?

जब किसी कमरे में टॉर्च जलाकर देखा जाता है कि उससे निकलने वाली रोशनी कहाँ पर जाकर टकरा रही है, रे कास्टिंग भी इसी तरह से काम करती है। यह सीन्स रेंडर करने, लाइन-ऑफ़-साइट का पता लगाने, और ऑब्जेक्ट्स के बीच होने वाले टक्कर की पहचान करने में मदद करती है।

यह रे कास्टिंग होती है या रेकास्टिंग?

ये दोनों वर्ड्स एक ही चीज़ को दर्शाते हैं, लेकिन "रे कास्टिंग" का आम तौर पर ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है।

क्या आज भी रे कास्टिंग का इस्तेमाल किया जाता है?

हाँ। कंप्यूटर साइंटिस्ट्स ने 1960 के दशक में रे कास्टिंग का इस्तेमाल करना शुरू किया था, लेकिन आज भी इसे आर्किटेक्चरल सिम्युलेशन, मेडिकल इमेजिंग, और वीडियो गेम्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

क्या रे कास्टिंग महँगी होती है?

रे कास्टिंग के लिए कभी-कभी बहुत ज़्यादा कंप्यूटिंग पावर की ज़रूरत पड़ती है। कॉम्प्लेक्स सीन्स के लिए रेज़ कास्ट करना और इंटरसेक्शन्स ढूँढना कम्प्यूटेशनल रूप से महँगा हो सकता है। उसके बावजूद भी, फ़ुल रे कास्टिंग जैसी एड्वान्स्ड टेकनीक्स के मुकाबले रे कास्टिंग कम महँगी होती है।

रेकास्टिंग के सबसे ज़रूरी स्टेप्स क्या-क्या हैं?

1. शुरुआत। कैमरा (जिसे रे ओरिजिन भी कहा जाता है) और व्यूइंग प्लेन, या सीन को डिफ़ाइन करें।

2. कास्टिंग। यह सॉफ़्टवेयर कैमरे से पिक्सेल के ज़रिए और सीन में एक रे कास्ट करेगा। सीन में मौजूद रे और ऑब्जेक्ट्स के इंटरसेक्शन्स की पड़ताल करें। हो सकता है कि आप इंटरसेक्ट करने वाले सबसे पास के ऑब्जेक्ट या लाइटिंग कंडीशन्स के आधार पर पिक्सेल का कलर एडजस्ट करना चाहें।

3. डिस्प्ले। पिक्सेल कलर्स चुन लेने के बाद, सीन रेंडर करें और लाइटिंग फ़ाइनलाइज़ करें।

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