जेनरेटिव AI की मदद लें और आर्किटेक्चर की दुनिया में अभी तक काम में नहीं लाए जा सके आइडियाज़ को सच की ज़मीन पर उतारें।
- डेटा, एस्थेटिक्स, व आइडियाज़ को बिलकुल नए-नए अंदाज़ में साथ लाने के लिए आर्किटेक्ट्स जेनरेटिव AI को एक कोलैबोरेटर के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
- आर्किटेक्चरल डिज़ाइन के दौरान जेनरेटिव AI का इस्तेमाल करने से काम की रफ़्तार भी बढ़ जाती है और काम ज़्यादा कारगर व असरदार ढंग से भी पूरा होता है।
- आर्किटेक्चर की दुनिया में जेनरेटिव AI के क्या-क्या फ़ायदे उठाए जा सकते हैं, ये समझने के लिए AI जेनरेटर्स के काम करने का तरीका जानें, अपने खुद के प्रॉम्प्ट्स आज़माकर देखें, और नए-नए चौंकाने वाले आइडियाज़ पर निगाह रखें।
आर्किटेक्चरल डिज़ाइन की प्रॉसेस में मदद करना।
चाहे कोई आलीशान स्काईस्क्रेपर हो, कुछ समय के लिए लगाया जाने वाला कम्युनिटी इंस्टॉलेशन हो, या महज़ एक छोटा सा घर, एनवायरमेंट तैयार करने की मुश्किलों के बारे में जितनी बात की जाए, कम है।
आर्किटेक्चरल प्रॉसेस काफ़ी बड़ी होती है और डिज़ाइन उसका बस एक स्टेप होता है। इसमें बिल्डिंग कोड्स, स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, ज़ोनिंग कानून, एनवायरमेंटल सिस्टम्स, और क्लाइंट के बजट जैसी चीज़ों पर गौर किया जाता है। हालाँकि कंप्यूटर-एडेड डिज़ाइन (CAD) ने ड्राफ़्टिंग वाले दिनों की तुलना में आर्किटेक्चर का काम बेहद तेज़ बना दिया है, मगर अभी भी कोई जटिल स्ट्रक्चर या एनवायरमेंट बनाने में बहुत ज़्यादा दिमाग और क्रिएटिविटी की ज़रूरत पड़ती है।
ऐसे में जेनरेटिव AI मददगार हो सकता है। सीराक्यूस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ आर्किटेक्चर की प्रोफ़ेसर एमिली सी.एस. पेलीकानो का कहना है, “डिज़ाइन के स्टेप्स में और एक्सप्लोर करने के लिए अभी तक चले आ रहे तौर-तरीकों में बदलाव करके जेनरेटिव AI न सिर्फ़ आर्किटेक्ट्स के काम करने के तौर-तरीके बदलता है, बल्कि हमारे लिए अपने आसपास की दुनिया को देखने, उसके बारे में सोचने और उसे याद करने का तरीका भी पूरी तरह से बदल देता है। और आखिरकार यह हमारे काम करने व आने वाले कल के लिए एनवायरमेंट्स डिज़ाइन करने के तौर-तरीके बदल देता है।
आर्किटेक्चर डिज़ाइन प्रॉसेस में जेनरेटिव AI को इंटीग्रेट करके, आर्किटेक्ट्स नए व नायाब बिल्ट एनवायरमेंट्स तैयार करने के लिए ज़्यादा कारगर व असरदार ढंग से काम कर सकते हैं।
आर्किटेक्ट्स के लिए जेनरेटिव AI के 4 फ़ायदे।
अन्य प्रोफ़ेशन्स व यूज़ केसेज़ की तरह ही आर्किटेक्चर की फ़ील्ड के लिए भी जेनरेटिव AI एक नई टेक्नोलॉजी है और आर्किटेक्ट्स अभी भी इससे फ़ायदे लेने के रास्ते तलाश रहे हैं। कामकाजी आर्किटेक्ट्स व आर्किटेक्चर के स्टूडेंट्स के लिए जेनरेटिव AI के कुछ फ़ायदे नीचे दिए गए हैं।
1 हमेशा काम करने वाला कोलैबोरेटर पार्टनर।
पेलीकानो कहती हैं, “आर्किटेक्चर वाले काम में जेनरेटिव AI को शामिल करने के बारे में मुझे सबसे दिलचस्प बात ये लगती है कि डिज़ाइन के काम में टेक्नोलॉजी एक कोलैबोरेटिव पार्टनर बनती जा रही है।”
खासकर काम की शुरुआत में जब आर्किटेक्ट्स कॉन्सेप्ट्स तैयार करते हैं, इटिरेट करते हैं, और अपना विशन तैयार करते हैं, उस समय जेनरेटिव AI का इस्तेमाल करके वे अपने आइडियाज़ की जाँच-परख कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, आर्किटेक्ट्स जेनरेटिव AI से हाल-फ़िलहाल के या पुराने प्रॉजेक्ट्स के बारे में पूछ सकते हैं और समझ सकते हैं कि आर्किटेक्चर की दुनिया में उनका आइडिया कहाँ फ़िट बैठता है। या वे टेक्स्ट-टू-इमेज वाली खूबियाँ इस्तेमाल करके अपने शुरुआती आइडियाज़ की स्ट्रेस-टेस्टिंग कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए, कोई आर्किटेक्ट डिज़ाइन करने के लिए बैठने से पहले Adobe Firefly जैसे AI इमेज जेनरेटर में कई अलग-अलग टेक्स्ट प्रॉम्प्ट्स डालकर देख सकता है कि कोई काफ़ी अलग अंदाज़ वाला कॉन्सेप्ट दिखने में कैसा लग सकता है।
2 ज़्यादा गहराई वाले नज़रिए और जुदा अंदाज़ वाली सोच।
जेनरेटिव AI की एक सबसे दिलचस्प बात ये है कि टेक्नोलॉजी इंसानों की तरह नहीं “सोचती”। क्या-क्या चीज़ें कर पाना मुमकिन है, इसको लेकर बेहद क्रिएटिव लोग भी अपनी पुरानी सोच से आज़ाद नहीं हो पाते और यह बात आर्किटेक्ट्स के लिए भी कही जा सकती है। पेलीकानो कहती हैं, जेनरेटिव AI में “अलग किस्म के कनेक्शन्स बनाने और बिलकुल नए रिलेशनशिप्स, पैटर्न्स, और पोटेंशियल्स की पहचान करने की खूबी होती है जो अभी तक कोई इंसान नहीं कर पाया था।”
बिलकुल अलग किस्म के या नामुमकिन से लगने वाले रिज़ल्ट्स से क्रिएटिविटी के लिए नए-नए रास्ते खुल सकते हैं जिन्हें आर्किटेक्ट्स ने शायद खुद से एक्सप्लोर नहीं किया होता।
3 कीमती समय का बेहतर इस्तेमाल करें।
पेलीकानो स्टूडेंट्स को महज़ अपने असाइनमेंट्स जल्दी से पूरा करने के लिए जेनरेटिव AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने से मना करती हैं। उनका मानना है कि सीखने के दौरान आर्किटेक्ट्स को अपनी जानकारी बढ़ाने व पुराने तौर-तरीकों को चुनौती देने के लिए अपना समय देना चाहिए समय बचाने वाले टूल की जगह जेनरेटिव AI को एक ऐसी चीज़ के तौर देखा जाना चाहिए जो दोहराव वाले कामों को कम करके बेहतर ढंग से समय खर्च करने में आर्किटेक्ट्स की मदद करती है।
4 बर्बादी कम, मुनाफ़ा ज़्यादा।
आर्किटेक्चर वाले काम का एक सबसे मुश्किल हिस्सा यह होता है कि प्रॉजेक्ट्स शुरू करते ही बहुत सारी चीज़ों को ध्यान में रखना पड़ता है। अगर शुरुआती डिज़ाइन पूरा होने के बाद कोई रुकावट आ जाए, उदाहरण के लिए, अगर बजट को लेकर कोई गलतफ़हमी पैदा हो जाए और बिल्डिंग वाले कुछ मटीरियल्स के लिए जगह न बचे, तो पूरा का पूरा प्रॉजेक्ट ठंडे बस्ते में जा सकता है।
जेनरेटिव AI को ट्रेन करने के लिए ढेर सारा डेटा इस्तेमाल किया जाता है जिसमें मुश्किलें, बजट, कंस्ट्रक्शन मटीरियल्स, कोड की ज़रूरतें, व अन्य तमाम चीज़ों से जुड़ा डेटा शामिल होता है, इसलिए आर्किटेक्ट्स समय से पहले ही सामने आ सकने वाली दिक्कतों के हिसाब से प्लानिंग कर सकते हैं और कोई भी दिक्कत आने पर चीज़ें ज़्यादा जल्दी से पटरी पर (और बजट पर) वापस लौट सकती हैं। इसके अलावा, इतने बड़े पैमाने पर डेटा का ऐक्सेस होने से आर्किटेक्ट्स मुश्किलों व मौकों की पहचान कर सकते हैं जो ऐक्सेस नहीं होने पर उनके लिए मुमकिन नहीं होता। इससे आर्किटेक्ट्स को उपलब्ध जगह व मटीरियल्स का ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल करने में मदद मिलती है जो पर्यावरण के लिहाज़ से बेहतरीन है।
यहाँ पर इस बात का ख्याल रखना ज़रूरी है कि जेनरेटिव AI भले ही आर्किटेक्ट्स को “सुपरपावर्स” से लैस करता हो, मगर यह चीज़ों के बारे में क्रिटिकल अंदाज़ में सोच पाने व दूसरों के जज़्बातों को समझ पाने की इंसानी खूबियों की जगह नहीं ले सकता। काफ़ी बड़े पैमाने वाले डेटासेट्स पर ट्रेन किए जाने के बावजूद जेनरेटिव AI ऐप्लिकेशन्स हर चीज़ पर गौर नहीं कर सकते, खासकर बिल्ट एनवायरमेंट्स का लोगों के रहन-सहन पर, लोगों पर, और कम्युनिटी पर पड़ने वाले असर के बारे में।
याद रखें: जेनरेटिव AI सिर्फ़ एक कोलैबोरेटर है और यह इंसानों की अच्छी सोच व क्रिएटिविटी की जगह नहीं ले सकता।
आर्किटेक्चर डिज़ाइन प्रॉसेस और जेनरेटिव AI.
आर्किटेक्चर के लिए कोई इकलौता जेनरेटिव AI ऐप्लिकेशन अभी तक नहीं बना है, मगर स्टूडेंट्स और पेशेवर मौजूदा टेक्नोलॉजी के साथ इसे डिज़ाइन के दौरान अभी से ही काम में ला रहे हैं। वैसे तो आर्किटेक्चरल डिज़ाइन की पूरी की पूरी प्रॉसेस के दौरान ही जेनरेटिव AI का इस्तेमाल किए जाने के उदाहरण मौजूद हैं, मगर इसके फ़ायदों का जायज़ा लेने के लिए स्कीमैटिक डिज़ाइन और डिज़ाइन डेवलपमेंट वाले स्टेप्स से शुरुआत करना बेहतर रहेगा।
जेनरेटिव AI को आर्किटेक्चरल प्रॉसेस में इंटीग्रेट करना कैसा रहेगा, इसके कुछ उदाहरण ये रहे:
स्कीमैटिक डिज़ाइन
कॉन्सेप्ट तैयार करना
डिज़ाइन के लिए कोई एक खास डायरेक्शन तय करने से पहले तेज़ी से कई तरह के ऑपशन्स का जायज़ा लेने में AI जेनरेटर्स स्टूडेंट्स व कामकाजी आर्किटेक्ट्स के लिए मददगार हो सकते हैं। वे किसी एक आइडिया और टेक्स्ट-टू-इमेज जेनरेशन से शुरुआत कर सकते हैं, या चटपट तैयार किए गए स्केचेज़ या फ़ोटोग्राफ़्स पर काम करने के लिए Photoshop की जेनरेटिव एक्सपैंड और जेनरेटिव फ़िल जैसी खूबियाँ इस्तेमाल कर सकते हैं ताकि उन्हें एक अंदाज़ा लग सके कि कॉन्सेप्ट असलियत में दिखने में कैसा लग सकता है।
साइट स्ट्रैटेजी और इमेजिंग
सीराक्यूस यूनिवर्सिटी के अपने एक आर्किटेक्चर डिज़ाइन स्टूडियो में पेलीकानो काम में ली जा रही फ़िज़िकल साइट को इंटरप्रेट करने, विज़ुअलाइज़ करने, और उसे समझने के लिए नए-नए तरीके ढूँढने में स्टूडेंट्स की मदद करने के लिए जेनरेटिव AI का इस्तेमाल करती हैं। उनके स्टूडेंट्स साइट के बारे में सवाल करने, उसकी जाँच-पड़ताल करने, व उससे जुड़ा प्लान बनाने के लिए “न्यूरल स्टाइल ट्रांसफ़र” प्रॉसेस का व हवाई तस्वीरों का इस्तेमाल करते हैं। ऐसा करते हुए, स्टूडेंट्स साइट की हवाई तस्वीरों से शुरुआत करते हैं। फिर वे ओरिजिनल हवाई फ़ोटो पर अल्टरनेटिव साइट इमेजेज़ (उदाहरण के लिए, हिस्टॉरिकल कार्टोग्राफ़ी, सेंसरी या मौसम का हाल दिखाने वाले नक्शे, लीगल टैक्स दर्शाने वाले नक्शे, व इसी तरह की अन्य चीज़ें) को “ट्रांसफ़र” कर देते हैं।
पेलीकानो बताती हैं, “इससे स्टूडेंट्स को पुराने तौर-तरीकों की जकड़न से बाहर निकलने में मदद मिलती है और वे इन बातों पर नई तरह से सोच पाते हैं कि साइट कैसी दिखनी चाहिए, इसे कैसे ऑर्गनाइज़ किया जाना चाहिए, या यह आसपास के रहन-सहन व वहाँ की आबोहवा के साथ कुछ नए-नवेले तरीकों का इस्तेमाल करके तालमेल कैसे बैठा सकती है।”
वीडियो जेनरेशन
किसी 3D रेंडर या अधूरे एनिमेशन के बेस से शुरुआत करते हुए, जेनरेटिव AI व्युअर्स को डिज़ाइन का इमर्सिव एक्सपीरियंस देने वाले शानदार इलस्ट्रेटिव वीडियोज़ जल्दी से बनाने में आर्किटेक्ट्स की मदद कर सकता है। जगह का फ़्लो दर्शाने व इससे होकर लोगों की आवाजाही दर्शाने में वीडियो आर्किटेक्ट्स के लिए एक अहम टूल होते हैं।
डिज़ाइन डेवलपमेंट
इमेज एडिटिंग।
डिज़ाइन किए जा रहे स्ट्रक्चर का बारीक विशन तैयार करने के लिए ज़्यादातर आर्किटेक्ट्स 2D व 3D कंप्यूटर-एडेड डिज़ाइन सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं। जेनरेटिव AI की मदद से, वे लैंडस्केप डिज़ाइन, बिल्डिंग मटीरियल्स, टेक्सचर्स, और कलर्स के जैसे कॉन्टेक्स्ट व स्टाइल जोड़ सकते हैं और साथ ही, फ़र्नीचर, हार्डवेयर, व अन्य इंटीरियर डिज़ाइन एलिमेंट्स के जैसे कुछ और एलिमेंट्स भी तेज़ी से जोड़ सकते हैं। इसके अलावा, आउटपेंटिंग (जिसे Photoshop में जेनरेटिव एक्सपैंड के नाम से जाना जाता है) जैसी खूबियों की मदद से, आर्किटेक्ट्स लुक और फ़ील को बरकरार रखते हुए इमेजेज़ को बड़ा कर सकते हैं या आसानी से उनका ऐस्पेक्ट रेश्यो बदल सकते हैं।
2D और 3D रेंडरिंग।
एक सपाट 2D डिज़ाइन को बदलकर 3D मॉडल बनाने में काफ़ी समय लग सकता है। लेकिन नई टेक्नोलॉजी की मदद से, जेनरेटिव AI इस काम को काफ़ी तेज़ और आसान बना सकता है। एक आर्किटेक्ट के रूप में 3D मॉडल बनाने का हुनर रखने की फिर भी एक अहमियत होती है, मगर करीब-करीब फ़ौरन की जा सकने वाली 3D रेंडरिंग से बिलकुल ऐन मौके पर किए जाने वाले बदलाव चुटकियों में किए जा सकते हैं।
आर्किटेक्चर की दुनिया में जेनरेटिव AI का आने वाले कल
चाहे ऑटोकरेक्ट हो या ट्रैफ़िक जाम से बचने में लाइव मदद करने वाला मैप, जैसे आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस हमारी रोज़-रोज़ की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी है, उसी तरह जेनरेटिव AI भी आर्किटेक्चरल डिज़ाइन प्रॉसेस में बिना कोई रुकावट डाले इसका एक हिस्सा बनने के लिए तैयार है।
पेलीकानो कहती हैं, “मुझे लगता है कि सभी आर्किटेक्ट्स ने अपने काम में AI का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, चाहे उन्हें इस बात का एहसास हो या नहीं।” “इसे ज़्यादा से ज़्यादा स्टैंडर्ड सॉफ़्टवेयर पैकेजेज़ में शामिल किया जाएगा और ये पर्दे के पीछे से काम करेगा जिसका हमें एहसास नहीं होगा या जो हमें पता नहीं चलेगा।” जेनरेटिव AI टेक्नोलॉजी आर्किटेक्ट की क्रिएटिविटी और विशन का ही हिस्सा बन जाएगी व नई-नई चीज़ें मुमकिन हो जाएँगी, जैसा कि टेक्नोलॉजी के साथ हमेशा से होता आया है, चाहे वह रूलर हो या कंपास, ड्राफ़्टिंग मशीन हो या कंप्यूटर-एडेड डिज़ाइन, या कोई भी अन्य टेक्नोलॉजी।
बिलकुल नई-नई जेनरेटिव AI टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करने की ख्वाहिश रखने वाले आर्किटेक्ट्स के लिए पेलीकानो की क्या सलाह है? जानें कि जेनरेटिव AI कैसे काम करती है। अलग-अलग किस्म के मॉडल्स के लिए इस्तेमाल हो रहे डेटासेट्स के बारे में जानें, पता करें कि कॉन्टेंट सिंथेसिस कैसे काम करता है, जितना ज़्यादा हो सके चीज़ें खुद से आज़माकर देखें। इंसान शायद जिस तरह के रिज़ल्ट्स के बारे में कभी सोच भी नहीं सकते, उन्हीं रिज़ल्ट्स से ही कुछ नया और नायाब बनाना सबसे ज़्यादा मुमकिन होता है।
पेलीकानो कहती हैं, “जेनरेटिव AI के साथ काम करने की ख्वाहिश रखने वाले लोगों को मैं कहूँगी कि वे टेक्नोलॉजी को जानने-समझने की कोशिश करें और थोड़ा सा कंट्रोल छोड़ने से घबराएँ नहीं।”
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